रिमझिम पड़ेला फुहार हो देहियाँ में आग लगाये..
कइसे बचाई आपन जान हो देहियाँ में आग लगाये.
जबसे बलम जी परदेश गइलन, हमारे जियरवा के सुधि नाही लिहलन.
सासु जी के बोलिया में आग हो देहियाँ के आग लगाये..
रिमझिम पड़ेला फुहार हो...........
करेजवा के चीर जाला सहेलियन के बोलिया जरको ना सहाला उनकर ठिठोलिया
कइसे बुझाई आपन प्यास हो देहियाँ में आग लगाये.
रिमझिम पड़ेला फुहार हो...........
भेजतानी संदेसा हम अपना जूनून से सियाही ना समझीय लिखातानी खून से..
जियरा में नाही बाचल आस हो देहियाँ में आग लगाये.
रिमझिम पड़ेला फुहार हो...........
रिमझिम पड़ेला फुहार हो देहियाँ में आग लगाये..
कइसे बचाई आपन जान हो देहियाँ में आग लगाये.
Friday, August 22, 2008
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1 comment:
सही है सर....हम देशी बोलों को भी अब इंटरनेट पर पा रहे हैं।
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